Sitting near the window of my hotel room, I could see the full moon shining bright in the cold mountain night. Must be around 10 or 11 degrees. I could feel the light breeze on my face. Just looking outside the window, it was beautiful, even in the night. A silent full moon night high up in mountains could be so beautiful and soothing. I felt like my mind was empty of all thoughts. Like naturally meditating with eyes wide open and looking out into silhouette of huge mountains, like staring into wast spread of nothingness. I could see tiny lights twinkling on small buildings spread across the small town near Shimla, India. Sometimes when i came to senses, a sudden flood of thoughts streaming through the brain. How much we(humans) have progressed. How much nature had paid for our actions. Constantly digging the heart of mountain to make clearings for agriculture and buildings. Yet, nature is forgiving and let us be in peace. Peace, which is perhaps pet word of my best friend. He is
कुछ तो गलत है मेरे साथ, दूसरों को ख़ुश देख के खुशी मिलती है| जिन्हे जानता पहचानता भी नहीं, उन्हें हँसता देख के दुनिया हसीन लगती है || सागर की लहरों के शोर में शांति मिलती है, पहाड़ो में सनसनाती हवा में आवाज़ मिलती है| जंगलो की खामोसी में अपनापन लगता है, शहर की भीड़ अजनबी लगती है|| कुछ तो गलत है मेरे साथ, दुनिया भली भली सी लगती है || किसी से टकरा जाऊ तो खुद माफ़ी मांग लेता हूँ, कोई गिरे तो हँसता नहीं हाथ बढ़ता हूँ| अंजानो का दर्द देख आँखे भीग जाती है, गरीब कोई मुस्कुराए तो मैं भी मुस्कुराता हूँ|| कुछ तो गलत है मेरे साथ इंसानियत में विश्वाश जताता हूँ || लुटेरों से भरे बीहड़ में, मुसाफिरों को सही राह दिखता हूँ|| खुद अकेला भी महसूस करू लेकिन, दोस्तों का साथ निभाता हूँ|| कुछ तो गलत है मेरे साथ, भीड़ से अलग चलना चाहता हूँ|| कोशिश कर कर हार भी जाता, हौसला नहीं गवाता हूँ| कुछ तो गलत है मेरे साथ, हर समय आशा का दीपक जलाता हूँ|| कुछ तो गलत है मेरे साथ, कुछ अलग कुछ नया करना चाहता हूँ ||