एक हवा के झोंके में एक दिन । फैला के पंख उड़ गया था मैं ।।
वो ठंडी हवा महसूस हुई । बादलो में घुल गया था मैं ।।
मेरे पास आ के एक चिड़िया बोली । तुम कैसे उड़ सकते हो ?||
तुम तो एक इंसान हो । इन बादलो में क्या करते हो ?||
ये मेरा आँगन घर है मेरा । मुझे उड़ने की आजादी है ।।
ऐ नन्ही चिड़िया सुन तो जरा । ये मन मेरा फरियादी है ।।
जरा कान लगा के सुन मेरे संग । ये हवा मुझे कुछ कहती है।।
मैं सपनो में हूँ खोया हुआ । मेरी साँसे आज यूं बहकी है ।।
मुझे उड़ लेने दे सपनो में । फिर सुबह मुझे जग जाना है ।।
कुछ जी लेने दे सपनो में । सुबह रूपया पैसा कामना है ।।
तू क्या जाने इंसानो को । इन्हें आजादी नहीं भाति है ।।
भय और लालच के साये में । इनकी जिंदगी घबराती है।।
मुझे आज ही मेरा ज्ञान हुआ । मैं अभी अभी इंसान हुआ ।।
अभी बर्बादी से उभरा हूँ । मुझे सपनो का संज्ञान हुआ ।।
तेरे पंख है तू उड़ जाती है । एक पल में फुर्र हो जाती है।।
मुझे भी ले चल संग अपने । क्यों दूर से मुझे सताती है ।।
चिड़िया ने मुझे जवाब दिया । एक और नया मुझे ख्वाब दिया ।।
मुझे बोली खुद पे नाज़ तो कर । रब ने तुझे जीवन दान दिया ।।
कुछ करने को जी । नहीं डरने को जी ।।
डूबने को नहीं । तू तरने को जी।।
खुली आँख तो था अँधेरा । सायद होने को था सवेरा ।।
एक सपना देखा था मेने । जिसनें मिटा दिया सारा अँधेरा ।।
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